रविवार, 9 अक्तूबर 2011

आकाश गंगा में घूमती हुई गैसें .......शेषनाग .....ड़ा श्याम गुप्त...


                        नवीन खगोलीय खोज के अनुसार आकाश गंगा चक्रदार व घूमते हुए गैस का घर है .....आकाश गंगा की खाली जगहों में यह गैस साँपों की भांति घूमती हुई दिखाई देती है .....


                  अब आप सोचिये यही गैस ही तो वह शेष-ऊर्जा है जो सृष्टि के समय बची हुई ऊर्जा है और  अनंत आकाश में स्थित है साँपों की भांति ......यह भारतीय विज्ञान , दर्शन, तत्वज्ञान में वर्णित अनंत फन वाले अनंत नाग ,शेषनाग ही है  जिस शेष ऊर्जा पर  ....ब्रह्म ...."परब्रह्म "..सृष्टि का परम मूल तत्व ....महाविष्णु ....शयन रत रहते हैं ....शेषशायी विष्णु ................और सृष्टि की संचालक आदि शक्ति.......कार्यकारी शक्ति...आदि-माया.....श्री लक्ष्मी जी ...उनकी सेवा में सदा रत हैं ......पुनः पुनः श्रृष्टि -सृजन हित.....और आकाश गंगायें   व  अंतरिक्ष है ..........क्षीरसागर.....महाकाश्  .....ईथर ....

--------यह है भारतीय  पुरा ज्ञान...विज्ञान.....धर्म...दर्शन .....जो आज से सदियों पूर्व खोज लिया गया था .....कितना सत्य...कितना सटीक ...

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लखनऊ, उत्तर प्रदेश, India
--एक चिकित्सक, शल्य-विशेषज्ञ जिसे धर्म, दर्शन, आस्था व सान्सारिक व्यवहारिक जीवन मूल्यों व मानवता को आधुनिक विज्ञान से तादाम्य करने में रुचि व आस्था है।