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चित्र में-१-विधवाएं 2- बाल-विवाह ,3-सती प्रथा,..४-दहेज़ ह्त्या ..५-महिला श्रम..6 -मुस्लिम विजेताओं द्वारा विक्रय हेतु नग्न-देह प्रदर्शन ....7 -घरेलू हिंसा एवं 8-दहेज़ लेन-देन ....
-----इस प्रकार पुरुष अधिकारत्व समाज में ही यद्यपि
स्त्रियों के अधिकारों.की स्वायत्तता का परिसीमन प्रारम्भ होचुका था परन्तु
भारत में फिर भी स्त्रियों के आदरभाव में कमी उत्पन्न नहीं हुई थी जो वस्तुतः
वैदिक संस्कृति का ही प्रभाव था | यद्यपि
विश्व की अन्य संस्कृतियों व देशों में स्त्रियों पर अत्याचारों की अंतहीन कथाओं के उल्लेख हैं व उनके अधिकार भी काफी कम होचुके थे |

यहाँ तक कि स्त्री शासकों , रानियों के राज्यों में भी स्त्रियों अत्याचारों का सिलसिला रहा |
भारत में वस्तुत यह सामंती, आत्मविस्मृति के, अन्धकार-अज्ञान के
काल में होने लगा जो मूलतः
पश्च महाभारत युद्ध का काल है | वास्तव में महाभारत युद्ध सिर्फ भारतीय महाद्वीप का युद्ध न होकर
एक विश्व युद्ध था , जो काफी प्रामाणिक तौर पर
आणविक युद्ध था जिसमें भौतिक व सांस्कृतिक तौर पर महाविनाश हुआ | भारत के स्वर्णिम काल के विनाश के गाथाएं विश्व में फैलीं , जो विदेशी लोग स्वदेश में ही युद्ध रत रहते थे ... बाहर भी जाने लगे....
आक्रान्ताओं का युग प्रारम्भ हुआ ...भारत के स्वर्ण युग के प्रसिद्धिके कारण भारत विदेशी आक्रान्ताओं क प्रिय स्थल बना ...| अर्जुन पुत्र
परीक्षत के सर्पदंश से मृत्यु के उपरांत उसके पुत्र
जन्मेजय द्वारा तक्षशिला के नाग- सम्राट तक्षक जो परीक्षत की मृत्यु का कारण व षडयंत्रकारी था , के राज्य का विनाश कर दिया यद्यपि तक्षक स्वयं
आस्तीक मुनि के कारण जिनकी माता नाग कुल से थी बचगया परन्तु उसे जंगलों में भटक कर दस्यु-वृत्ति अपनानी पडी|-
-इस प्रकार उस द्वंद्व के काल में भी स्त्रियों का आदर-भाव था | जन्मेजय वंश(
कुरु वंश ) के अंतिम शासक
अधिसिम कृष्ण को हरा कर शिशुनाग वंश के शासक
महापद्मनंद( जिसने इश्वाकू वंश के अंतिम शासक क्षेमक का वध करके राज्य प्राप्त किया था ) ने उत्तर भारत पर अपना
नन्द वंश स्थापित किया | नन्द वंश का अंतिम सम्राट
धननन्द जो प्रजा में अप्रिय था ,व महानंद की दासी या नाइन रानी का पुत्र था, के वध उपरांत सम्राट चन्द्रगुप्त ने
मौर्य वंश के स्थापना ...
.सिकंदर का आक्रमण ....से
अशोक ...लिक्षवी गणराज्य......
गुप्त वंश....गज़नी ...खिलजी...शेरशाह .आदि के आक्रमणों से आदि से उत्पन्न ..... आतंरिक स्थिति भी गृह-कलह द्वंद्व के थी , चक्रवर्ती सम्राट ...राष्ट्रीय एकता...भारतीय सांस्कृतिक एकता,एक रूपता की कमी...के कारण राजनैतिक अस्थिरता -द्वंद्व-द्वेष -अनैतिकता के स्थिति उत्पन्न होने लगी | अज्ञानता व
वैदिक दर्शन के विस्मृति के युग में विभिन्न नास्तिक व वेदेतर-दर्शनों---
चार्वाक, बौद्ध, जैन आदि की उत्पत्ति , पौँगा पंथी, तंत्र-मन्त्र, झाड-फूंक, अत्यधिक कर्मकांड आधारित ब्राह्मण वर्ग की अकर्मण्यता व ऋषि-आश्रम

, व्यवस्था का लुप्त होना के साथ समाज में अज्ञानता व पतन का प्रारम्भ हुआ और यह स्थिति मुगलों के काल से होते हुए अंग्रेजों व सामंती काल तक चलती रही |
परन्तु नारी की स्थिति भारत में इस्लामिक आक्रमण से पूर्व के काल तक भी आदरणीय थी जैसा कि महापद्म्नंद की नाइन पत्नी के पुत्र को राज्य मिलना....चन्द्रगुप्त की विदेशी पत्नी हेलेना आदि की गाथा से पता चलता है ...परन्तु निश्चय ही महाद्वन्द्वों,संघर्षों , युद्धों व अशांति की स्थिति में ... .यथास्थिति
नारी जगत में भी अज्ञानता ,दैन्यता, आत्म-विस्मृति ,पराधीनता के अन्धकार के कारण नारी की चेतनता भी लुप्त होने लगी | .... इलाम के उद्भव पर इस्लामी आक्रान्ताओं के स्त्री को वस्तु की भाँति उपयोग की वस्तु समझने, भारतीय संस्कृति ,भारतीय संस्कृति के विरुद्ध युद्ध में शत्रु सेना की स्त्रियों के लूट , क्रय , वलात्कार,नग्न-देह प्रदर्शन आदि अत्याचारी -भोगी संस्कृति के कारण उन सब
वीभत्स स्थितियों से बचने के लिए स्त्री बंधनों में रहने लगी और
सती प्रथा, पर्दा-प्रथा, स्त्री-शिक्षा की कमी आदि बुराइयां भारतीय समाज में घर करने लगीं
तत्पश्चात
मुग़ल आक्रान्ताओं व
अंग्रेजों की भोगी संस्कृति व
मैकाले की शिक्षा व सांस्कृतिक विनाश की नीति व अंतहीन बाह्य व आतंरिक युद्धों व द्वंद्वों के कारण
सामंती काल तक आते आते, भ्रमित भारतीयों द्वारा विदेशियों की संस्कृति की नक़ल , अनुकरण व व्यक्तिगत स्वार्थवश ... नारी के बंधन कठोर होते गए, नारी को
क्रीति-दासी 
समझा जाने लगा |
घूंघट प्रथा, पर्दा-प्रथा, स
ती-प्रथा (यद्यपि ..सती--- मूल नाम शिव पत्नी 'सती ' द्वारा पिता के यज्ञ में पति के अपमान के कारण किया गया आत्म दाह से लिया गया है ..जो एक दुर्घटना थी..परन्तु अज्ञान वश एक गलत प्रथा को यह नाम देदिया गया) जो
अशिक्षा,
बाल-विवाह, दहेज़-प्रथा,
वैश्या वृत्ति पति व ससुराल वालों द्वारा
स्त्री-प्रतारणा ,
अत्याचार --जो अनाचार व द्वंद्व के युग में आर्थिक, संपत्ति लालच, पारिवारिक द्वंद्व के कारण व
नारी को घर की इज्ज़त के रूप में मानने पर ..ऋणात्मक भाव में ..
.नारी पर अत्याचार का सिलसिला भी चलने लगा |
-----सभी चित्र ...साभार