यत्पिंडे तद्ब्रह्मांडे
यत्पिंडे
तद्ब्रह्मांडे—यह वैदिक साहित्य के मूल वाक्यों में से एक है | वैदिक स्थापना है
कि जो हमारे शरीर में है वही इस ब्रह्माण्ड में है अथवा कहा जा सकता है कि हमारा
शरीर ब्रह्माण्ड का ही प्रतिरूप है | इसका कुछ प्रमाण निम्न चित्रों में स्पष्ट
देखा जा सकता है | निम्न चित्र संगमरमर के कुछ पत्थरों के छैतिज़ काट (स्लाइस-कट)
हैं जिनकी रचना प्राणी शरीर के अवयवों की आतंरिक- दूरबीन से देखने पर- संरचना से कितना
मेल खाती है |
चित्र १. –त्वचा की
संरचना ---से हूबहू मेल
खाती है | जिसमें त्वचा के रोमकूप, रोम स्पष्ट नज़र आते हैं | बाएं तरफ त्वचा का
थोड़ा सा भाग गायब है जो किसी रोग अथवा कट
का प्रतीक है |
चित्र-2 . शरीर के
फेटी टिश्यू या चर्बी की
संरचना से मेल रखता है |
चित्र-3..फेटी
टिश्यू के साथ कोलेजन फाइबर-------
चित्र-४. पट्टीदार
मांस पेशी ( स्ट्रिप्ड मसल
)की संरचना ----
चित्र-५. स्नायु ऊतक ( नर्व टिश्यू ) की संरचना के समान रचना -----
|
चित्र -१
|
चित्र-2. |
|
|
चित्र-3. |
|
चित्र-४.
|
चित्र-५. |
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें