गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

विजानाति-विजानाति-----मनन...

छान्दोग्य उपनिषद में कथन है---
""यदा वै मनुत, अथ विजानाति। नामत्वा विजानाति। मत्वैव विजानाति । मतिस त्येव विजिग्यासितव्येति ।मतिं भगवो विजिग्यासे इति॥""
---व्यक्ति जब मनन करता है तभी ( किसी वस्तु-भाव का) ग्यान होता है ; मनन किये विनानहीं जान सकता। अत: मनन को जानने की इच्छा करें कि भगवन, मैं मनन को जानाना चाहता हूं ।
---किसी वस्तु की वास्तविकता व गहराई जानने हेतु उसमें डुबकी लगाना आवश्यक होता है।मनन क्या है यह भी ठीक प्रकार से जानना चाहिये।
----मनन -मानव का विशिष्ट गुण है इसीलिये वह मानव कहलाता है




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लखनऊ, उत्तर प्रदेश, India
--एक चिकित्सक, शल्य-विशेषज्ञ जिसे धर्म, दर्शन, आस्था व सान्सारिक व्यवहारिक जीवन मूल्यों व मानवता को आधुनिक विज्ञान से तादाम्य करने में रुचि व आस्था है।