""यदा वै मनुत, अथ विजानाति। नामत्वा विजानाति। मत्वैव विजानाति । मतिस त्येव विजिग्यासितव्येति ।मतिं भगवो विजिग्यासे इति॥""
---व्यक्ति जब मनन करता है तभी ( किसी वस्तु-भाव का) ग्यान होता है ; मनन किये विनानहीं जान सकता। अत: मनन को जानने की इच्छा करें कि भगवन, मैं मनन को जानाना चाहता हूं ।
---किसी वस्तु की वास्तविकता व गहराई जानने हेतु उसमें डुबकी लगाना आवश्यक होता है।मनन क्या है यह भी ठीक प्रकार से जानना चाहिये।
----मनन -मानव का विशिष्ट गुण है इसीलिये वह मानव कहलाता है ।
----मेरा अन्य (साहित्यिक) ब्लोग---http://saahityshyam.blogspot.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें