युग बदला दुनिया बदली कम्प्युटर आया।
सबल सूचना तंत्र लिए घर-घर में छाया।
सभी तरह के खेल तमाशे भी है लाया।
इन्टरनेट की माया ने सबको भरमाया ।
दुनिया भर में इन्फोटेक का जाल बिछाया।
सभी समस्याओं का हल लेकर आया।
युग बदला जीवन बदला कम्प्युटर आया।
माउस और की पर रियाज़ हम पेल रहे हैं।
जावा और कोबोल के पापड बेल रहे हैं।
हार्ड डिस्क के नखरे भी हम झेल रहे हैं।
विंडो टू थाउजेंड थ्री ने दिल धड़काया।
डव्लू डव्लू डाट कोम बन सब पर छाया।
....युग ...
भैया को है इन्टरनेट -चेट पर जाना।
पापा को है शतरंज में उसे हराना।
मुझको भी हैं सुनने जम कर नए तराने।
चाचाजी ने लैटर लिख प्रिंटर खडकाया।
मम्मी को भी ई-कामर्स का शौक लगाया।
....युग ...
दादी ने छोटी बुआ को ई मेल लिखवाया।
ताऊजी ने पेक-मेन का गेम लगाया।
चाची जी ने सुन्दर ग्रीटिंग कार्ड बनाया।
दादाजी ने रामायण का डिस्क चलाया।
गुडिया ने भी पिक्चर-पिक्चर शोर मचाया।
....युग ...
टी वी, वीडियो गेम सभी हो गए पुराने।
पुस्तक पेपर लाइब्रेरी के गए ज़माने।
जन-जन की आँखों में लाया सपन सुहाने।
टाइपिस्ट-स्टेनो का भी दिल धड़काया।
पर बिट्टू की आँखों में चश्मा चढ़वाया।
युग बदला दुनिया बदली कम्प्युटर आया।
-- डा श्याम गुप्त
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